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आईने कितने ही बदल लिए सोचा नहीं बदल लूँ खुद को खरा

आईने कितने ही बदल लिए
सोचा नहीं बदल लूँ खुद को
खराबी दिखी बस आईने में 
आईना ही झूठा लगा मुझको
भावनाहीन हैं जब मन मेरा
स्वार्थ से पूर्ण है जीवन मेरा
खुद से परे कुछ हैं ही नहीं
लिप्त हमेशा ही खुद में रहीं
दुःख किसी का जाना नहीं
अपना किसी को माना नहीं
देख लिए हजारों आईने
कुछ भी नहीं हैं मायने
मन में जब तक हैं अँधेरा
अक्स अधूरा हैं मेरा
अक्स अधूरा हैं मेरा #अक्स
आईने कितने ही बदल लिए
सोचा नहीं बदल लूँ खुद को
खराबी दिखी बस आईने में 
आईना ही झूठा लगा मुझको
भावनाहीन हैं जब मन मेरा
स्वार्थ से पूर्ण है जीवन मेरा
खुद से परे कुछ हैं ही नहीं
लिप्त हमेशा ही खुद में रहीं
दुःख किसी का जाना नहीं
अपना किसी को माना नहीं
देख लिए हजारों आईने
कुछ भी नहीं हैं मायने
मन में जब तक हैं अँधेरा
अक्स अधूरा हैं मेरा
अक्स अधूरा हैं मेरा #अक्स