Nojoto: Largest Storytelling Platform

आकार नहीं हैं तेरा तू निराकार ही मुझमे समायी हैं

आकार नहीं हैं तेरा
तू निराकार ही 
मुझमे समायी हैं
आलाप तेरा भी
मस्तिष्क में चलायमान हैं
जैसे हो बड़ा सा रेगिस्तान
और मैं मरिचिका सा
इर्द-गिर्द भटकता सा
खोज में एक 
शीतल से दरिया के
हैं पाँव मेरे 
ग्रीष्म की तपिस में
जिनकी ठण्डक तेरे 
आगोश में मिलती हैं
बालू के कण भी
हाथ में जब लेता हूँ
फिसल ऐसे जाते हैं
जैसे तुम्हारे स्मरण का
आकार नहीं है
उसी तरह से
हैं तू एक रंग में मुझमें 
जिसका कोई
आकार नहीं
क्षितिज से 
सतह तलक
निरकार तू मुझमें
रंगी सी रहती हैं
यथार्थ ही प्रेम का
कोई आकार नहींं

✍️©® By #Kishan_Korram #आकार नहीं हैं तेरा
तू निराकार ही 
मुझमे समायी हैं
आलाप तेरा भी
मस्तिष्क में चलायमान हैं
जैसे हो बड़ा सा रेगिस्तान
और मैं मरिचिका सा
इर्द-गिर्द भटकता सा
आकार नहीं हैं तेरा
तू निराकार ही 
मुझमे समायी हैं
आलाप तेरा भी
मस्तिष्क में चलायमान हैं
जैसे हो बड़ा सा रेगिस्तान
और मैं मरिचिका सा
इर्द-गिर्द भटकता सा
खोज में एक 
शीतल से दरिया के
हैं पाँव मेरे 
ग्रीष्म की तपिस में
जिनकी ठण्डक तेरे 
आगोश में मिलती हैं
बालू के कण भी
हाथ में जब लेता हूँ
फिसल ऐसे जाते हैं
जैसे तुम्हारे स्मरण का
आकार नहीं है
उसी तरह से
हैं तू एक रंग में मुझमें 
जिसका कोई
आकार नहीं
क्षितिज से 
सतह तलक
निरकार तू मुझमें
रंगी सी रहती हैं
यथार्थ ही प्रेम का
कोई आकार नहींं

✍️©® By #Kishan_Korram #आकार नहीं हैं तेरा
तू निराकार ही 
मुझमे समायी हैं
आलाप तेरा भी
मस्तिष्क में चलायमान हैं
जैसे हो बड़ा सा रेगिस्तान
और मैं मरिचिका सा
इर्द-गिर्द भटकता सा

#आकार नहीं हैं तेरा तू निराकार ही मुझमे समायी हैं आलाप तेरा भी मस्तिष्क में चलायमान हैं जैसे हो बड़ा सा रेगिस्तान और मैं मरिचिका सा इर्द-गिर्द भटकता सा #कविता #Kishan_Korram