चलते रहो, चलने से किसने रोका है। बढ़ते रहो, बढ़ने से किसने रोका है। लिखते रहो, लिखने से किसने रोका है। करे, न करे भरोसा, असहमत हो अगर कुछ तुझ पर, पहले खुद पर तो कर भरोसा, सहमत हो खुद पर। जब खुद पर न हो भरोसा,क्या भला करेगी खुद का। किसी और को साबित कुछ मत कर, ख़ामोश अगर करना चाहें कुछ, मत ख़ामोश रहो, कहते रहो, कहने से किसने रोका है। कदम न रुकने पाएं,बस चलती जा तू चलने से किसने रोका है।। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ✍️शिखा ©Shikha Yadav रुक जाना नहीं