पल्लव की डायरी बहके हुये जज्बात,स्वीकार जमाने मे नही होते है कुछ नया करो, चर्चा आम होते है जुटे रहो अरमान तोड़के, तब संस्कारवान होते है समुंदर तोड़ दे जब किनारे आवारापन के दाग उस पर होते है उसूल तो हदों में रखने की एक कवायद है जिस दिन तोड़ दो,उस दिन पंछी की तरह आजाद होते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #feelings उसूल तो हद में रखने की एक कवायद है