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अपनी मशरूफियत से वक्त निकाल कर, कभी आओ मेरे पास

अपनी मशरूफियत से
वक्त निकाल कर,

कभी आओ मेरे पास 
अमावस की अंधेरी रात में, 

उंगलियों और हथेलियों की 
ख्वाहिश है चांद को छूने की !!

                     बोल_बेतौल

©Atul Pandey
  #चांद_इश्क