लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो न हो । शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो हमको मिली हैं आज ये घडीया नसीब से जी भर के देख लीजिये हमको करीब से फिर आप के नसीब में ये बात हो न हो । शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो पास आईये के हम नहीं आयेंगे बार बार बाहें गले में डाल के हम रो ले ज़ार ज़ार आँखों से फिर ये प्यार की बरसात हो न हो शायद फिर इस जनम में मुलाक़ात हो न हो