पिता! तेरे बूते पर हर फ़िक्र को धुआँ समझता हूँ तेरी सोच की नोंक पर भी है एक ठहरी हुई दुनिया इसीलिए रुसवाइयों का जश्न मनाता हूँ घबराता नहीं मुसीबतों के रेले से ग़रज़परस्त दुनिया में पिता! तेरे सीने में सब्र का समंदर लहराता है तेरा ख़याल एक अलग दुनिया सजाता है # पिता!तेरी दुनिया बहुत अलग है