शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत नहीं होती। खुश्क लब तर होंगे ख़ुद से ही ख़ुद, औरो के पिलाने से तराबट नहीं होती। कहते हैं अमृत है गंगाजल और जमजम, फिर खुन में क्यों इसकी मिलावट नहीं होती। भूखे, नंगे, वेघर, यतीम दुनियां के लोग, को खौफे खुदा में तुझसे क्यों शरारत नहीं होती। आईने चटक जाते हैं, ऐसे चेहरे देख के, जिनके चेहरे पर निशान ए इबादत नहीं होती। इंकलाबी लोगों का लहज़ा ही बदला होता है, दर्द में डूबे लोगों से हमें शिकायत नहीं होती। शहर की गलियों में, बारूद बहुत है, तभी तो हमसे कोयलें की तिजारत नहीं होती। शाहरुख नेकी करके दरिया में डाले जा तू, इस दौर के लोगों में मरौव्वत नहीं होती। शाहरुख मोईन अररिया बिहार 9534848402 शरीफ लोगों से कभी सियासत नहीं होती, तभी तो जुल्म के खिलाफ बगावत नहीं होती। पाक़ीज़ा लहज़ा, पाकीजा ही रहता है, सच्चे लोगों में दिखावत नहीं होती।