“अकेलेपन का दर्द” अनुशीर्षक में://👇👇👇 कैद कर लिया है ख़ुद को बिना सलाखों के अकेलेपन के दीवारों में ज़िन्दगी के अंधेरे में बस एक उजाला है मेरे पास तेरी मोहब्बत के यादों का सहारा है सारे वादे जो तोड़ कर जो चले गए हो तुम तेरी यादों के सिवा कुछ मेरे पास है नहीं अब किस हक़ से उसको भी मांँग रहे तुम की है मोहब्बत तुझसे, मिलता रहा सजा मुझे दर्द यूँही मोहब्बत करना गर है गुनाह तो हम कर बैठे एक बेवफ़ा से बेपरवाह इश्क़ करते रहे उम्रकैद है अंजाम हमको थी ख़बर फिर भी तेरे इश्क़ में ख़ुद को तबाह करते रहे