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राम धामदा पुरी सुहावनि। लोक समस्त बिदित अति पावनि


राम धामदा पुरी सुहावनि। लोक समस्त बिदित अति पावनि ॥
चारि खानि जग जीव अपारा। अवध तजें तनु नहिं संसारा 
भावार्थ: यह शोभायमान अयोध्यापुरी श्री रामचन्द्रजी के
परमधाम की देने वाली है, सब लोकों में प्रसिद्ध है और
अत्यन्त पवित्र है। जगत में (अण्डज, स्वेदज, उद्भिज्ज और
जरायुज) चार खानि (प्रकार) के अनन्त जीव हैं, इनमें से
जो कोई भी अयोध्याजी में शरीर छोड़ते हैं, वे फिर संसार
में नहीं आते ( जन्म-मृत्यु के चक्कर से छूटकर भगवान के
परमधाम में निवास करते हैं )

©KhaultiSyahi
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