" ओ निशा " :- रोशन हुई हैं कई रातें जिनके होने ने से वो महताब मेरा जिगरी है,. Dear ❤महाकाल दीवानी❤,. शब्दों में बांध सकू आपके व्यक्तित्व को, आपके लेखन को इतना मुझ में सामर्थ्य ही नहीं,. बहुत से पत्र लिखे हैं आपको इससे पहले भी,. परन्तु असहजता कभी अनुभव नहीं हुई,. होता है ना जब आप सब रख देते हैं अपना सामने वाले के समक्ष तो शायद सच में आपके पास भावनाओं का अपार समंदर तो होता है, परन्तु शब्द समेट सकें उस समंदर के बवंडर को इतना उनका साहस नहीं,. देरी के लिए माफ़ी चाहूंगी दिल से,. पंरतु दिल से ही आपको आपके अवतरण दिवस की ढेरों - ढेरों , ढेरों - ढेरों शुभकामनायें,. आप पर सदैव ही कृपा बनी रहे आराध्य शिव की,. और आने वाले वर्षो में आप नए आयाम हासिल करें अपने जीवन में, हमेशा ही खुश रहें ईश्वर से यही कामना करती हूँ,. सौभाग्यवती भवः , ❤️, हम लोगों को मिले पूरा डेढ़ वर्ष बीत गया, Yq के चलते सब संभव हो पाया है,. वरना कहां मिलते मीलों दूर लोग,.संयोग ही होता है वास्तव में जिनसे मिलना लिखा होता है, हम मिल ही जाते हैं उनसे,. शुरुआत के सभी पल जब भी स्मरण हो आते हैं तो, दिल भर जाता है, मस्तीखोर से हम बिना किसी परवाह के वाकई बहते रहे, बहते रहे,.