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पुराने सिलबट्टे पर चटनी पिसी जा रही थी ,,,, ओखली

पुराने सिलबट्टे पर चटनी पिसी जा रही थी ,,,,
  ओखली में बाजरी कुटी जा रही थी ,,
चूल्हे पे मोटी -मोटी रोटियां सिक रहीं थी ,,,
,,पूरा घर चहचाहट से भरा था,, पापा के घुटने में दर्द रहता हैं
 फिर भी आज वो नीचे बैठ कर खाना खा रहे थे,,
,माँ यू तो दिन भर हर बात पर हम सबको डांटती रहती हैं पर आज ख़ामोशी से काम कर रही थी,,,
चारपाई के चारो ओर बच्चों की कहानी सुनने के लिए भीड़ जमा थी,,
,,,,,,क्योंकि
 मेरी दादी गाँव से आ चुकी थी,,,, #bolteshabddimika #daadi #village
पुराने सिलबट्टे पर चटनी पिसी जा रही थी ,,,,
  ओखली में बाजरी कुटी जा रही थी ,,
चूल्हे पे मोटी -मोटी रोटियां सिक रहीं थी ,,,
,,पूरा घर चहचाहट से भरा था,, पापा के घुटने में दर्द रहता हैं
 फिर भी आज वो नीचे बैठ कर खाना खा रहे थे,,
,माँ यू तो दिन भर हर बात पर हम सबको डांटती रहती हैं पर आज ख़ामोशी से काम कर रही थी,,,
चारपाई के चारो ओर बच्चों की कहानी सुनने के लिए भीड़ जमा थी,,
,,,,,,क्योंकि
 मेरी दादी गाँव से आ चुकी थी,,,, #bolteshabddimika #daadi #village