कुछ साल बाद........ लॉकडाऊन का दौर चल रहा था.. लोगो ने घरमे जिना सिख लिया था... फिर से उन पुराने दोस्तों से बाते होने लगी थी... जिंदगी जैसे रुक सी गयी थी.. परिवार के लोग फिर से पुराने किस्से पे हसने लगे थे... बहुत से लोगो की कला बाहर निकल के आयी थी... कुछ लोग भूके पेठ ही सोने लगे थे... तो कुछ लोग पेठ भरके खाकर भी कुछ खुश नही थे.. रास्तो पे सन्नाटा छाया था... और दिलो मे घबराहट सी थी... कुछ लोगो को १ वक्त की रोटी नसीब नही होती थी... तो कुछ लोग अपने हीस्से की रोटी मे से किसी और को बाट देते थे... कुछ लोग अपनी जान लगाकर देश की सेवा करते थे... और कुछ लोग बेवकुफी करके दुसरो की जान खातरे मे डालते थे... आमिर लोग टाईमपास कैसे करे ये सोचते थे .. तो गरीब लोग रोटी के लिये पैसे कहासे लाये ये सोचते थे... शेहर के रास्ते सूने हो गये थे... और लोग अपने गाव की तरफ भागने लगे थे... कुछ लोग अपने घर मे चैन से बैठे थे.. तो कुछ लोग पैदल चल के थक गये थे... पर इस सब मे भी एक किसान ही था जो दटके खडा था.... ऊस वक्त डॉक्टर और पुलिस ही हमारे भगवान थे... क्योकी असली भगवान तो कैद हो गये थे... एक बात तो हमेशा याद रहेगी... विदेश यात्रा तो किसी और ने की थी... और किंमत गरीब लोगो ने चुकाई थी.. -dipali thakare #simplicity #lockdown #lockdowndiary rukh zindagi ne mod liya aisa hamne socha nahi tha kabhi aisa..