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गंगा! तुम जीवन का सुहास हो आँचल में अनगिन फूल सरस

गंगा! तुम जीवन का सुहास हो
आँचल में अनगिन फूल सरस
सजीला अविरत मधुमास हो
अंक में किलकता बचपन
स्वर्णिम यौवन का रास हो
त्रास हरती पथिक की
फिर भी अंतहीन प्यास हो
तुम अपनी धुन में हो
बहता आकाश हो
तैरता है चाँद जिसमे
चन्द्र लहर पाश हो
रस तुम बनारस की
शिव का प्रताप हो
 #ganges
गंगा! तुम जीवन का सुहास हो
आँचल में अनगिन फूल सरस
सजीला अविरत मधुमास हो
अंक में किलकता बचपन
स्वर्णिम यौवन का रास हो
त्रास हरती पथिक की
फिर भी अंतहीन प्यास हो
तुम अपनी धुन में हो
बहता आकाश हो
तैरता है चाँद जिसमे
चन्द्र लहर पाश हो
रस तुम बनारस की
शिव का प्रताप हो
 #ganges