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जो बुद्ध के पास था, ठीक उतना ही लेकर तुम भी पैदा ह

जो बुद्ध के पास था, ठीक उतना ही लेकर तुम भी पैदा हुए हो। तुम्हारी वाणी में और बुद्ध की वाणी में रत्ती भर का फासला नहीं है। भला तुम्हारे तार ढीले हों, थोड़े कसने पड़े। या तुम्हारे तार थोड़े कसे हों, थोड़े ढीले करने पड़ें। या तुम्हारे तार वीणा से अलग पड़े हो और उन्हें वीणा पर बिठाना पड़े लेकिन तुम्हारे पास ठीक उतना ही सामान है, उतना ही साज है जितना बुद्ध के पास। अगर बुद्ध के जीवन में संगीत पैदा हो सका, तुम्हारे जीवन में भी हो सकेगा। इसी बात का नाम आस्था है।

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©कुमार रंजीत (मनीषी)
  बुद्ध
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