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रोते-रोते मुस्कुराने का हुनर बताओ किसे आता है। कोई

रोते-रोते मुस्कुराने का हुनर बताओ किसे आता है।
कोई नायाब फरिश्ता होगा ऐसी महक जो महकाता है।।

किसे पता है जिंदगी जीने का नया अंदाज,
गमों को दफन करके जमाने को हंसाता है।

तोड़ देता हर उन उसूलों को जो जमाने ने बनाए,
 दर्द भरी आंधियों में बेखौफ कदम बढ़ाता है।

नई उम्मीदें नई ख्वाहिशें ज़हन में भरकर,
दर्द के समंदर में बहकर दास्तान नई बनाता है।

पहचान उसकी गुमनाम भरी गुमनामी में रहकर, 
जमाने के आगे हर दम खिलखिलाता है।

ज़ुल्म सहता कभी खामोश होकर,
डरते डरते मुस्कान बिखराना बस उसे ही आता है।

यह हुनर यह नायाब हुनर कहां किसी में है मिलता,
हर हाल में जो मुस्कुराएं उसी दिल में जगाता है।

रोते-रोते मुस्कुराने का हुनर बताओ किसे आता है.......

©Yogendra Nath Yogi
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