कहीं दिल न लगे मन आवारा हुआ! पल-पल सभी से मेरा किनारा हुआ! तमाम कोशिशें, मग़र नाकाम हुआ! दिल बंजारा सा देह भी लाचार हुआ! तेज आँधी में जैसे बिखर जाती शाखाएँ! हर एक पत्ते के झड़ने का एहसास हुआ! घबराती हूँ बादलों के गरजने से मैं बहुत! ना ढ़ह जाए घर जो मिट्टी का मकाँ हुआ! इस पत्थर की दुनियाँ में, शीशे सा दिल हुआ! सबसे प्यार करो, अपनों नें ही ये हमें सिखाया, मासूम से दिल नें किसी को अपना बनाया है! उसे खोने के डर से मन आज सबसे ज़ुदा हुआ! ♥️ Challenge-904 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।