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इधर-उधर से शब्द जोड़ कर, लेखन करना न आया जीवन पाकर

इधर-उधर से शब्द जोड़ कर, लेखन करना न आया
जीवन पाकर मानुष का हमें, इतर हो जीना न भाया
मृत अमृत के इस संघर्ष में, कविता हिय की धारा है
प्राप्नोति मम प्राप्य प्रोत लव, झिन पुरलोक हमारा है कुछ लोग, शब्दों से मात्र खेलना जानते हैं – और स्वयं को कवि मान लेते हैं..

#कविता #कवि #प्रेमपुष्प #अध्यात्म #चिंतन #alokstates #yqdidi #poetry
इधर-उधर से शब्द जोड़ कर, लेखन करना न आया
जीवन पाकर मानुष का हमें, इतर हो जीना न भाया
मृत अमृत के इस संघर्ष में, कविता हिय की धारा है
प्राप्नोति मम प्राप्य प्रोत लव, झिन पुरलोक हमारा है कुछ लोग, शब्दों से मात्र खेलना जानते हैं – और स्वयं को कवि मान लेते हैं..

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