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ये कम क्या इंतिहां है या रब इस इश्क़ की ख़ुद रूठकरके

ये कम क्या इंतिहां है या रब इस इश्क़ की
ख़ुद रूठकरके भी हम उनको मनाया किए
आँखों के जज़्ब मंज़र थे जब पिघल रहे
दिलशाद तबस्सुम लब पे सजाया किए
 घड़ी दो घड़ी वो सबर ना रख सकें 
हम एक उमर का इंतज़ार हर घड़ी थे जी रहे
हम एक सदा पे गोया उनसे मुख़ातिब थे
खुद जब भी वो आएँ पेशगी जाना मुक़र्रर किए
कोई हमें बता दे ये फलसफ़ा ज़हीन
साँसों के बिना कोई धड़कन तो क्या जिए




 #longingsouls
ये कम क्या इंतिहां है या रब इस इश्क़ की
ख़ुद रूठकरके भी हम उनको मनाया किए
आँखों के जज़्ब मंज़र थे जब पिघल रहे
दिलशाद तबस्सुम लब पे सजाया किए
 घड़ी दो घड़ी वो सबर ना रख सकें 
हम एक उमर का इंतज़ार हर घड़ी थे जी रहे
हम एक सदा पे गोया उनसे मुख़ातिब थे
खुद जब भी वो आएँ पेशगी जाना मुक़र्रर किए
कोई हमें बता दे ये फलसफ़ा ज़हीन
साँसों के बिना कोई धड़कन तो क्या जिए




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