kya kahu..... वो फिक्र तेरी..और तेरा मुस्कुराना वो जिक्र तेरा...और तेरा रूठ जाना कभी शीशे का अक्श है तो....कभी यादों में नक्श है वो तेरा हवा सा छू जाना...क्या कहूं वो तेरे पलको का कमल..और तेरा शर्माना वो तेरे बालों का महल..मेरा उसमे छुप जाना कभी ख्वाबों का घर है तो....कभी राहों का बसर है वो तेरा मुझमें ठहर जाना...क्या कहूं शब्दो की कमी नहीं है पर... बोहत मुश्किल होता है कह पाना क्या कहूं.....क्या कहूं 🔥 ©$••••••Sonu #क्या kahu.....