तालाब खोजने रेगिस्तान में चलते गए, मिली ना रेत एक भी हथेली नम, सराब सारे उम्मीदों में पिघलते गए । जो आये थे गांव बसाने काफ़िला ले कर, अरमान सारे सूखे गले निगलते गए । चलो, तालाब ना मिला ना सही, दो बूँद पानी के लिए जो जलते गए, कम से कम दो बूँद आंसू लिए, फिर काफ़िला बिखेर कर निकलते गए । #काफिला #सराब