एक दूजे की चाहतों की डोर से बंधा है अपना यह पवित्र सा रिश्ता, गर चाहत ना होती तो तू कैसे बनकर आता मेरी जिंदगी में फरिश्ता। तेरी चाहत से ही मेरा दिल और मेरी चाहत से ही तेरा दिल धड़कता है, गर चाहत ना होती तो कैसे एक दूजे की चाहत के लिए दिल धड़कता। तेरी चाहत से ही मेरी आँखों में चमक और लबों पर हमेशा हँसी रहती है, गर चाहत ना होती तो क्यों मेरी आँखों में तेरे लिए हर पल इंतजार होता। तेरी चाहत ने ही मेरे गमों को खुशियों में बदलकर एक नई दुनिया दी है, गर चाहत ना होती तो क्यों तेरा साथ मेरी जिंदगी को जन्नत सी बनाता। यकीन है हमको कुछ पल का साथ नहीं जन्मों जन्मों का साथ है तेरा मेरा, गर चाहत ना होती तो खुदा ने तुझको मुझसे कभी मिलाया ही ना होता। ♥️ Challenge-708 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।