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हमने तो सभी में दोस्त ढूंढना चाहा, पर हर एक इंसान

हमने तो सभी में दोस्त ढूंढना चाहा,
पर हर एक इंसान हमारी अच्छाई पर दुश्मन 
बनता चला गया,
लगा जैसे में सही होकर भी छला गया,
पर इन रुकावटों से डरकर में रुकने वाला कहां,
किसी की झूठी फबकी, और क्रोध से भरी
 लाल आंखो से झुकने वाला कहां,
मै बुद्धू साला उनकी तारीफ जताता रहा,
वो निडर होकर मुझे ही पागल , बेवकूफ बताता रहा।
इतना भी पागल नहीं, ए समझ दारो,
यूं किसी को पागल बोलने का तंज ना मारों,
क्योंकी ऐसे लोगो के रिश्ते भी पागलों से जुड़ते हैं,

जो पागलों से अंदर ही अंदर  चिढ़ते हैं।

बेवजह ही आकर भिड़ते हैं।

©jyoti gurjar
  #ईर्ष्या