आदि अनादि अविचल शब्द कल्पना नतमस्तक परिभाषा अनंत प्रेम ही जीवन प्रेम ही ईश्वर प्रेम ही आरंभ प्रेम ही विनाश प्रेम ही पवित्रता को सार्थक और अस्तित्व में स्थापित करता प्रेम ही सत्य को दिखाता प्रेम ही सृष्टि को बांधता । जो हो पूर्ण व्याख्या तुच्छ शब्दों में वो प्रेम नहीं सिर्फ आकर्षण और हवस । प्रेम आत्म प्रेम परमात्म प्रेम से लबरेज़ कोई वस्तु ,चरित्र गंदा नहीं वो अमिय में विलीन उस शक्ति का अनुरूप जिसे हम पूजते है मानते , जो शांति समन करता जिसके ख्याल से शांति सुख का अनुभव हो जाता वो कोई और शक्ति नहीं प्रेम ही है । #प्रेमीपंछी #प्रेम_पर_चिंतन #प्रेम से लबरेज़ लेखक #मेराप्यार #पवित्र_प्रेम #kunu #yqbaba #yqdidi