सुनो! तेरी एक मुस्कान पर मैं लख लख वारी जाऊँ। कंकर से हो जाऊं शंकर और सिर्फ तुम्हें निहारी जाऊँ। ✍राजेन्द्र✍ शंकर और कंकर