मिट्टी में बीज का पड़ना अंकुरित होना, फ़सल बनना फिर कई माध्यमों से गुज़रते हुए चूल्हे तक रोटी के रूप में पहुँचना; मानो प्रसाद हो ईश्वर का। ठीक उसी तरह मन में विषय का अंकुर फूटना, देर तक विचार-विमर्श की फ़सल फिर शब्दों में गुँथ जाना । और अंत में पाठकों तक पहुँचती है कविता, हाँ ,यह भी तो ईश्वरीय प्रसाद ही है। बस यूँ ही एक विचार रोटी बनाते हुए 😄 #रोटीऔरकविता #ईश्वरीयप्रसाद #अनाम