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तुम्हारा ये चित्र मेरे हृदय को, सच आज भी गुदगुदा र

तुम्हारा ये चित्र मेरे हृदय को, सच आज भी गुदगुदा रहा है।
प्रथम दृष्टया ही भा गये तुम,पुरानी बातें दोहरा रहा है।।
एकावलोकन इसी चित्र का, बना गया था तुम्हें आकर्षक।
हुई तुम्हारे विषय में चर्चा, हृदय तो बन ही गया था बंधक।।
मिले थे जब पहली बार तुमको, ये उर न वह पल भुला रहा है।
तुम्हारा ये चित्र मेरे हृदय को, सच आज भी गुदगुदा रहाहै।।

धन्यवाद।

©bhishma pratap singh #फोटो स्टोरी#छायाचित्र#हिन्दी कविता#सच जीवन का#भीष्म प्रताप सिंह 
#समाज और संस्कृति#अक्तूबर कृति
तुम्हारा ये चित्र मेरे हृदय को, सच आज भी गुदगुदा रहा है।
प्रथम दृष्टया ही भा गये तुम,पुरानी बातें दोहरा रहा है।।
एकावलोकन इसी चित्र का, बना गया था तुम्हें आकर्षक।
हुई तुम्हारे विषय में चर्चा, हृदय तो बन ही गया था बंधक।।
मिले थे जब पहली बार तुमको, ये उर न वह पल भुला रहा है।
तुम्हारा ये चित्र मेरे हृदय को, सच आज भी गुदगुदा रहाहै।।

धन्यवाद।

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#समाज और संस्कृति#अक्तूबर कृति

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