कभी कपड़ो पर तो कभी हमारी चरित्र पर ऊँगली उठाते है.. ये भूखे वैश्यी दरिंदे कहां दर्द समझ पाते हैं... पूछ रही है ये महज 7 साल की मासूम परी की मैंने कौन सा गुनाह किया था जिसकी सजा मैंने पाई है... क्यूँ उन भूखे दरिंदो ने मुझे अपना शिकार बनाया है... देखो आज फिर से वही निर्भया कांड दुहराया है... मेरे मरने के बाद लोगो ने फिर कैंडल मार्च निकाला है..... बंद करो कपड़ो पर फब्तियां कसना उस दरिंदो को बच्चे बूढ़े मे कहां फर्क नजर आया है... उस वैश्यी दरिंदे ने तो हर कपड़ो की धज्जियाँ उड़ाया है.... जीन्स हो या साड़ी या हो बुर्का उस दरिंदे को सिर्फ जिस्म नजर आया है..... जघन्य अपराध करके उसने फिर मानवता को शर्मसार कर डाला है.... #nojoto #kavishala #rape #my_feelings #poetry #pain