शिकवा ब-लब न आए कहीं जाँ-कुनी के साथ चलिये कि चलते रहिये यहाँ खामशी का साथ थी लड़ गई जो नैन कभी नाज़नीं के साथ गुज़री तमाम उम्र यहाँ बे-दिली के साथ उसकी निगाह ए नाज़ की ये है सितमगरी मिलते हैं इन दिनों वो बड़ी बेरुख़ी के साथ पहली सफ़ों में आज गुलूकार आ गये कितना बड़ा मजाक़ हुआ शाइरी के साथ अहसन मियाँ ये दौर शराफ़त का अब कहाँ निकलें कभी जो घर से मगर रौशनी के साथ #Shikwa