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परवाह तेरे हर दुख के पीछे, माँ कहाँ चैन से सोती है

परवाह तेरे हर दुख के पीछे, माँ कहाँ चैन से सोती है 
उसके हर दुख के आगे ढाल है, माँ जिसकी होती है 

सुख-दुख की ये राह-ए-ज़िंदगी, माँ है तेरी अनंत शिवाय
घूंट घूंट कर विष पी लेती, कोशिश तुझे अमृत पिलाए

वो दाना दाना करके जमा, एक फसल तेरे लिए बोती है
उसके हर दुख के आगे ढाल है, माँ जिसकी होती है

©Traveling poet 🎠 #मां #माँ 

#MothersDay2021
परवाह तेरे हर दुख के पीछे, माँ कहाँ चैन से सोती है 
उसके हर दुख के आगे ढाल है, माँ जिसकी होती है 

सुख-दुख की ये राह-ए-ज़िंदगी, माँ है तेरी अनंत शिवाय
घूंट घूंट कर विष पी लेती, कोशिश तुझे अमृत पिलाए

वो दाना दाना करके जमा, एक फसल तेरे लिए बोती है
उसके हर दुख के आगे ढाल है, माँ जिसकी होती है

©Traveling poet 🎠 #मां #माँ 

#MothersDay2021