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साल-हा-साल अकेले ही चला आया हूँ आलम-ए-हू से हयात आ

साल-हा-साल अकेले ही चला आया हूँ
आलम-ए-हू से हयात आज चुरा आया हूँ
ये नया  साल कोई ज़श्न-ए-बहारा लाये
सोचकर ग़म को ज़माने से छुपा आया हूँ
छगन वर्मा "राज़" शुभागमन
साल-हा-साल अकेले ही चला आया हूँ
आलम-ए-हू से हयात आज चुरा आया हूँ
ये नया  साल कोई ज़श्न-ए-बहारा लाये
सोचकर ग़म को ज़माने से छुपा आया हूँ
छगन वर्मा "राज़" शुभागमन