मेरी माँ की ममता और उसकी ममता की छाँव। याद आता है मुझे आज भी मेरा घर मेरा गाँव। भूल नहीं सकता किस तरह माँ ने मुझे पाला है। गलती भी करता तो कहती तू मेरा प्यारा लाला है। खुद धूप सहकर मुझे अपनी आँचल की छाँव दी। क्या खूब माँ ने परवरिश दी और मेरी परवाह की। माँ तेरी ही उँगली पकड़कर है मैंने चलना सीखा। आज भी मुझे भाता है तुम्हारा सिखाया तरीका। मैं जब तकलीफ में होता था माँ ही मुझे सुलाती थी। डर किसी का न लगे इसलिए आँचल में सहलाती थी। माँ मैं किस तरह तेरे दूध का कर्ज अदा कर पाऊँगा। क्या कभी मैं सच में तेरा प्यारा लाला बन पाऊँगा। ♥️ Challenge-535 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए।