अच्छा गुज़रा सफ़र तुम्हारे साथ मुसाफ़िर, जहाँ रहोगे मुझको रखना याद मुसाफ़िर, तेरा हँसना तेरी वो सब पागलपंती, याद रहेगी तेरी हर इक बात मुसाफ़िर, बस तेरी बातों की गर्मी से ही काटी, मैंने कितनी शरद ऋतू की रात मुसाफ़िर, इक मजबूरी है जिस्मों के बंधन की भी, काश समझ सकती दुनिया जज़्बात मुसाफ़िर, 'सानू' को इन तूफ़ानों से डर लगता है, बस तू थामे रखना मेरा हाथ मुसाफ़िर। मुसाफ़िर #yqhindi #yqsafar #yqdidi #hindipoetry #sanubanu