रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए रोज़ रोज़ जलते हैं, फ़िर भी राख न हुए तेरी मोहब्बत के ही सताएं थे हम, इसलिए ख़ाक न हुए बस एहसास है हल्का सा इस लिए मिटे नही,,, रोज़ रोज़ जलते, हैं फिर भी ख़ाक नही हुए। ©डॉ. अरुणा कृष्णप्रेम Tondak #Roz_Roz_Mitte_Hai