#वर्तमान के अतिरिक्त.... जीवन पर अनेक दर्शनशास्त्र तब कम पड़ जाते हैं जब अतीत के विकल्प के अभाव में वर्तमान में बढ़ती रिक्तता से स्मृतियों की आमद बढ़ जाती है। . . मोक्ष देह और आत्मा से अधिक इन्हीं स्मृतियों से छूटने का प्रयास रहा। विशेषतः जिनकी पुनरावृत्ति से पीड़ा बार-बार मँझकर उभर आती हो। . . गत गुजरकर भी कहीं नहीं जाता आगत ढाँढ़स बँधाता तो है पर इस सत्य के साथ . . कि . . 'वर्तमान के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं..!!' --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #वर्तमान के अतिरिक्त.... जीवन पर अनेक दर्शनशास्त्र तब कम पड़ जाते हैं जब अतीत के विकल्प के अभाव में