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इतनी मस्त चली पुरबाई। उसपर याद पिया की आई। अँगड़

इतनी  मस्त  चली  पुरबाई।
उसपर याद पिया की आई।
अँगड़ाई कुछ महक गई तो,
कुछ मत कहना कुछ मत कहना------

नई  नवेली   साँस  सुहागिन
पग धरती  जैसे  गजगामिन
जागी      ऐसी    प्यास  अभागिन
पनघट  जान लगी पनिहारिन
ऐसे में    सर से    गर   चुनरी
सरक गई तो कुछ मत कहना

यौवन तक ले आया सावन
यौवन  में  पुलकित  स्पंदन
देह   हुई है  कुन्दन   चन्दन
सारी   सृष्टि में  अभिनन्दन
ऐसे में     दर्पण  की   दृष्टि
बहक गई तो कुछ मत कहना

गीत ग़ज़ल या कोई रुबाई
तुलसी की अदभुत चौपाई
मैं  जब  शब्द शब्द इतराई
कलियों ने पहिनी तरुणाई
तरुणाई में कोई  कली गर
चटक गई तो कुछ मत कहना

माटी  की है    कौन सहेली
कितनों  की  संगत है झेली
फिर भी इतनी रही अकेली
माटी  ही   माटी से    खेली
पर  इसकी  तन्हाई कहीं से
दरक गई तो कुछ मत कहना

ख़ामोशी    सन्नाटे     चुपचुप
खिड़की सब दरवाज़े चुपचुप
नैनों   के     अंगारे     चुपचुप
गीत  मिलन के   सारे चुपचुप
ऐसे  में    साँसों  की   सरगम
दहक गई तो कुछ मत कहना

ऐसा  पहली  बार  हुआ है
पहला पहला प्यार हुआ है
तन्हाई  पर    बार   हुआ है
जब सोलह सिंगार हुआ है
ऐसे  में  सोनम    की चूड़ी
खनक गई तो कुछ मत कहना इतनी  मस्त  चली  पुरबाई।
उसपर याद पिया की आई।
अँगड़ाई कुछ महक गई तो,
कुछ मत कहना कुछ मत कहना------

नई  नवेली   साँस  सुहागिन
पग धरती  जैसे  गजगामिन
जागी      ऐसी    प्यास  अभागिन
इतनी  मस्त  चली  पुरबाई।
उसपर याद पिया की आई।
अँगड़ाई कुछ महक गई तो,
कुछ मत कहना कुछ मत कहना------

नई  नवेली   साँस  सुहागिन
पग धरती  जैसे  गजगामिन
जागी      ऐसी    प्यास  अभागिन
पनघट  जान लगी पनिहारिन
ऐसे में    सर से    गर   चुनरी
सरक गई तो कुछ मत कहना

यौवन तक ले आया सावन
यौवन  में  पुलकित  स्पंदन
देह   हुई है  कुन्दन   चन्दन
सारी   सृष्टि में  अभिनन्दन
ऐसे में     दर्पण  की   दृष्टि
बहक गई तो कुछ मत कहना

गीत ग़ज़ल या कोई रुबाई
तुलसी की अदभुत चौपाई
मैं  जब  शब्द शब्द इतराई
कलियों ने पहिनी तरुणाई
तरुणाई में कोई  कली गर
चटक गई तो कुछ मत कहना

माटी  की है    कौन सहेली
कितनों  की  संगत है झेली
फिर भी इतनी रही अकेली
माटी  ही   माटी से    खेली
पर  इसकी  तन्हाई कहीं से
दरक गई तो कुछ मत कहना

ख़ामोशी    सन्नाटे     चुपचुप
खिड़की सब दरवाज़े चुपचुप
नैनों   के     अंगारे     चुपचुप
गीत  मिलन के   सारे चुपचुप
ऐसे  में    साँसों  की   सरगम
दहक गई तो कुछ मत कहना

ऐसा  पहली  बार  हुआ है
पहला पहला प्यार हुआ है
तन्हाई  पर    बार   हुआ है
जब सोलह सिंगार हुआ है
ऐसे  में  सोनम    की चूड़ी
खनक गई तो कुछ मत कहना इतनी  मस्त  चली  पुरबाई।
उसपर याद पिया की आई।
अँगड़ाई कुछ महक गई तो,
कुछ मत कहना कुछ मत कहना------

नई  नवेली   साँस  सुहागिन
पग धरती  जैसे  गजगामिन
जागी      ऐसी    प्यास  अभागिन