एक हवा का झौंका ,एक साया उस रब का। मिला जो अपने अहम को छोड़कर दुसरो से, हुआ एहसास उस अनोखे सच का। । कि ना तेरा कुछ और ना मेरा कुछ, फिर अहम किस बात का।।। ।।।।....इस युग का मिरज़ा गालिब ...।।। #Hakikat a #zindgi is #yug ka #galib Pallavi 141193