वो मेरे लिए हर उपवास करती है , शायद मिल जाऊं आस करती है , बहाने कुछ भी बनाकर अक्सर वो , पत्नी है मेरी ये एहसास करती है , सच अपनी जान कुर्बान करती है , पर घर परिवार समाज से डरती है , कहती है जानती हूं अपना दायरा ,