Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो मेरे लिए हर उपवास करती है , शायद मिल जाऊं आस क

 वो मेरे लिए हर उपवास करती है ,
शायद मिल जाऊं आस  करती है ,
बहाने कुछ भी बनाकर अक्सर वो ,
पत्नी है मेरी ये एहसास  करती है ,

सच अपनी जान कुर्बान  करती है ,
पर घर परिवार समाज से डरती है ,
कहती है जानती हूं  अपना दायरा ,
 वो मेरे लिए हर उपवास करती है ,
शायद मिल जाऊं आस  करती है ,
बहाने कुछ भी बनाकर अक्सर वो ,
पत्नी है मेरी ये एहसास  करती है ,

सच अपनी जान कुर्बान  करती है ,
पर घर परिवार समाज से डरती है ,
कहती है जानती हूं  अपना दायरा ,