विषय - काव्य चोर *"*"*"*"*"*"*"*"* 🕵मनहरण घनाक्षरी🕵 -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*- चोरों की है होड़ फैले हुए चारों ओर, देखो भाव संग संग ये तुकान्त भी उड़ाते हैं। मंच का प्रपंच कर ज्ञान ये बघारें खूब, शब्द शब्द चोरी कर कविता बनाते हैं। काव्य चोरी मुख्य ध्येय छिपे बैठे हैं शृगाल, महिपाल बनने के तेवर दिखाते हैं। असली कवि जी गुम,मालामाल हैं जनाब, कविराज बनने की धूम ये मचाते हैं। - अनामिका "अनु" #मनहरण घनाक्षरी