#Zindgi_ ए मंज़िल के मुसाफिर एक और प्रयास तो कर क्यों डरता है इन कांटो से, उम्मीदों का एक और सीढ़ी तो चढ़ बना अपने हौसले को बुलंद अभी संग्राम बाकी है बजा अपने जीत का बिगुल अभी युद्ध का अंजाम बाकी है क्यों करता है तू मुझसे शिकायत! मै तो तेरे पास ही हू जीत ले मुझे, इन हाथो के लकीरों पर विश्वास ना कर कर ले फतह मुझे,किस्मत का इंतजार ना कर ए मंज़िल के मुसाफिर एक और प्रयास तो कर बदल ले तू अपनी ज़िंदगी यूं औरो पर विश्वास ना कर!!!!. ©Ankur Mishra #Zindgi ए मंज़िल के मुसाफिर एक और प्रयास तो कर क्यों डरता है इन कांटो से, उम्मीदों का एक और सीढ़ी तो चढ़ बना अपने हौसले को बुलंद अभी संग्राम बाकी है बजा अपने जीत का बिगुल अभी युद्ध का अंजाम बाकी है