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*घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा* झंडा ऊँचा रहे हमारा व

*घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा*

झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हमारा राष्ट्रिय ध्वज जिसके सम्मान में आनंद बक्शी जी ने ये प्रेम भरा गीत लिखा था शायद जिसे अब हम केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर जोर जोर से बजा कर खाना पूर्ति करते रहते है। 
पर क्या वाकई में हमारे मन में तिरंगे के लिए वो सम्मान बचा है जिसके निचे खड़े होकर कई स्वतंत्रता सैनानियों ने और जिसका कफ़न ओढ कर कई सैनिको ने शहीदी प्राप्त की या फिर हम सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर इसे १५ अगस्त और २६ जनवरी को नमन करते है ?. आज हमे हमारे मन को टटोलना होगा कि हम धर्म, जात - पात, भाषा, भेष - परिवेश के नाम पर इस तिरंगे के रंगो और देश को बाँट देना चाहते है या अपनी अखंडता को बनाये रखते हुए इस तिरंगे का गौरव हमेशा पुरे विश्व में बनाये रखना चाहते है क्योंकि हम सबका गौरव है ये तिरंगा और सबसे श्रेष्ठ है ये तिरंगा। 
हम अपने घरों पर भगवा, हरेला, लाल आदि परचम तो शान से फहराते है वो भी किसी धर्म के नाम पर, पर शायद भूल जाते है हम सबसे पहले इंसान है और फिर भारतीय और हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और भारतीयता ही है आज हम सबको एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता, समता, न्याय और गणतंत्र की स्थिरता पर कोई आंच नहीं आने देंगे और अपने देश की सुरक्षा तथा तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान भी दे देंगे।
हमे अब ज़रूरत है अपनी एक जुटता दिखाने की जिस प्रकार हम अपने घरो पर भाँति भाँति रंग के परचम फहरा कर खुश होते है उसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम सब अपने घरों पर ससम्मान तिरंगा फहराएं और पुरे विश्व को ये बताये की हम जाति, धर्म से ऊपर उठ कर सर्वप्रथम भारतीय हैं और हम देश दुनिया को सार्थकता के साथ ये सन्देश दे सके कि
*झंडा ऊंचा रहे हमारा*
*विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।* 

*जय हिन्द !*

- *मनजीत सिंह ठकराल*
*महासचिव स्वराज इंडिया मध्यप्रदेश* *घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा*

झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हमारा राष्ट्रिय ध्वज जिसके सम्मान में आनंद बक्शी जी ने ये प्रेम भरा गीत लिखा था शायद जिसे अब हम केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर जोर जोर से बजा कर खाना पूर्ति करते रहते है। 
पर क्या वाकई में हमारे मन में तिरंगे के लिए वो सम्मान बचा है जिसके निचे खड़े होकर कई स्वतंत्रता सैनानियों ने और जिसका कफ़न ओढ कर कई सैनिको ने शहीदी प्राप्त की या फिर हम सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर इसे १५ अगस्त और २६ जनवरी को नमन करते है ?. आज हमे हमारे मन को टटोलना होगा कि हम धर्म, जात - पात, भाषा, भेष - परिवेश के नाम पर इस तिरंगे के रंगो और देश को बाँट देना चाहते है या अपनी अखंडता को बनाये रखते हुए इस तिरंगे का गौरव हमेशा पुरे विश्व में बनाये रखना चाहते है क्योंकि हम सबका गौरव है ये तिरंगा और सबसे श्रेष्ठ है ये तिरंगा। 
हम अपने घरों पर भगवा, हरेला, लाल आदि परचम तो शान से फहराते है वो भी किसी धर्म के नाम पर, पर शायद भूल जाते है हम सबसे पहले इंसान है और फिर भारतीय और हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और भारतीयता ही है आज हम सबको एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता, समता, न्याय और गणतंत्र की स्थिरता पर कोई आंच नहीं आने देंगे और अपने देश की सुरक्षा तथा तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान भी दे देंगे।
हमे अब ज़रूरत है अपनी एक जुटता दिखाने की जिस प्रकार हम अपने घरो पर भाँति भाँति रंग के परचम फहरा कर खुश होते है उसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम सब अपने घरों पर ससम्मान तिरंगा फहराएं और पुरे विश्व को ये बताये की हम जाति, धर्म से ऊपर उठ कर सर्वप्रथम भारतीय हैं और हम देश दुनिया को सार्थकता के साथ ये सन्देश दे सके कि
*झंडा ऊंचा रहे हमारा*
*विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।*
*घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा*

झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हमारा राष्ट्रिय ध्वज जिसके सम्मान में आनंद बक्शी जी ने ये प्रेम भरा गीत लिखा था शायद जिसे अब हम केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर जोर जोर से बजा कर खाना पूर्ति करते रहते है। 
पर क्या वाकई में हमारे मन में तिरंगे के लिए वो सम्मान बचा है जिसके निचे खड़े होकर कई स्वतंत्रता सैनानियों ने और जिसका कफ़न ओढ कर कई सैनिको ने शहीदी प्राप्त की या फिर हम सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर इसे १५ अगस्त और २६ जनवरी को नमन करते है ?. आज हमे हमारे मन को टटोलना होगा कि हम धर्म, जात - पात, भाषा, भेष - परिवेश के नाम पर इस तिरंगे के रंगो और देश को बाँट देना चाहते है या अपनी अखंडता को बनाये रखते हुए इस तिरंगे का गौरव हमेशा पुरे विश्व में बनाये रखना चाहते है क्योंकि हम सबका गौरव है ये तिरंगा और सबसे श्रेष्ठ है ये तिरंगा। 
हम अपने घरों पर भगवा, हरेला, लाल आदि परचम तो शान से फहराते है वो भी किसी धर्म के नाम पर, पर शायद भूल जाते है हम सबसे पहले इंसान है और फिर भारतीय और हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और भारतीयता ही है आज हम सबको एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता, समता, न्याय और गणतंत्र की स्थिरता पर कोई आंच नहीं आने देंगे और अपने देश की सुरक्षा तथा तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान भी दे देंगे।
हमे अब ज़रूरत है अपनी एक जुटता दिखाने की जिस प्रकार हम अपने घरो पर भाँति भाँति रंग के परचम फहरा कर खुश होते है उसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम सब अपने घरों पर ससम्मान तिरंगा फहराएं और पुरे विश्व को ये बताये की हम जाति, धर्म से ऊपर उठ कर सर्वप्रथम भारतीय हैं और हम देश दुनिया को सार्थकता के साथ ये सन्देश दे सके कि
*झंडा ऊंचा रहे हमारा*
*विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।* 

*जय हिन्द !*

- *मनजीत सिंह ठकराल*
*महासचिव स्वराज इंडिया मध्यप्रदेश* *घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा*

झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हमारा राष्ट्रिय ध्वज जिसके सम्मान में आनंद बक्शी जी ने ये प्रेम भरा गीत लिखा था शायद जिसे अब हम केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर जोर जोर से बजा कर खाना पूर्ति करते रहते है। 
पर क्या वाकई में हमारे मन में तिरंगे के लिए वो सम्मान बचा है जिसके निचे खड़े होकर कई स्वतंत्रता सैनानियों ने और जिसका कफ़न ओढ कर कई सैनिको ने शहीदी प्राप्त की या फिर हम सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर इसे १५ अगस्त और २६ जनवरी को नमन करते है ?. आज हमे हमारे मन को टटोलना होगा कि हम धर्म, जात - पात, भाषा, भेष - परिवेश के नाम पर इस तिरंगे के रंगो और देश को बाँट देना चाहते है या अपनी अखंडता को बनाये रखते हुए इस तिरंगे का गौरव हमेशा पुरे विश्व में बनाये रखना चाहते है क्योंकि हम सबका गौरव है ये तिरंगा और सबसे श्रेष्ठ है ये तिरंगा। 
हम अपने घरों पर भगवा, हरेला, लाल आदि परचम तो शान से फहराते है वो भी किसी धर्म के नाम पर, पर शायद भूल जाते है हम सबसे पहले इंसान है और फिर भारतीय और हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और भारतीयता ही है आज हम सबको एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता, समता, न्याय और गणतंत्र की स्थिरता पर कोई आंच नहीं आने देंगे और अपने देश की सुरक्षा तथा तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान भी दे देंगे।
हमे अब ज़रूरत है अपनी एक जुटता दिखाने की जिस प्रकार हम अपने घरो पर भाँति भाँति रंग के परचम फहरा कर खुश होते है उसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम सब अपने घरों पर ससम्मान तिरंगा फहराएं और पुरे विश्व को ये बताये की हम जाति, धर्म से ऊपर उठ कर सर्वप्रथम भारतीय हैं और हम देश दुनिया को सार्थकता के साथ ये सन्देश दे सके कि
*झंडा ऊंचा रहे हमारा*
*विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।*

*घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा* झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, हमारा राष्ट्रिय ध्वज जिसके सम्मान में आनंद बक्शी जी ने ये प्रेम भरा गीत लिखा था शायद जिसे अब हम केवल स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस पर जोर जोर से बजा कर खाना पूर्ति करते रहते है। पर क्या वाकई में हमारे मन में तिरंगे के लिए वो सम्मान बचा है जिसके निचे खड़े होकर कई स्वतंत्रता सैनानियों ने और जिसका कफ़न ओढ कर कई सैनिको ने शहीदी प्राप्त की या फिर हम सिर्फ एक औपचारिकता के तौर पर इसे १५ अगस्त और २६ जनवरी को नमन करते है ?. आज हमे हमारे मन को टटोलना होगा कि हम धर्म, जात - पात, भाषा, भेष - परिवेश के नाम पर इस तिरंगे के रंगो और देश को बाँट देना चाहते है या अपनी अखंडता को बनाये रखते हुए इस तिरंगे का गौरव हमेशा पुरे विश्व में बनाये रखना चाहते है क्योंकि हम सबका गौरव है ये तिरंगा और सबसे श्रेष्ठ है ये तिरंगा। हम अपने घरों पर भगवा, हरेला, लाल आदि परचम तो शान से फहराते है वो भी किसी धर्म के नाम पर, पर शायद भूल जाते है हम सबसे पहले इंसान है और फिर भारतीय और हमारा सबसे बड़ा धर्म इंसानियत और भारतीयता ही है आज हम सबको एक प्रतिज्ञा लेनी होगी कि देश की स्वतंत्रता, अखंडता, समता, न्याय और गणतंत्र की स्थिरता पर कोई आंच नहीं आने देंगे और अपने देश की सुरक्षा तथा तिरंगे के सम्मान के लिए अपनी जान भी दे देंगे। हमे अब ज़रूरत है अपनी एक जुटता दिखाने की जिस प्रकार हम अपने घरो पर भाँति भाँति रंग के परचम फहरा कर खुश होते है उसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस पर हम सब अपने घरों पर ससम्मान तिरंगा फहराएं और पुरे विश्व को ये बताये की हम जाति, धर्म से ऊपर उठ कर सर्वप्रथम भारतीय हैं और हम देश दुनिया को सार्थकता के साथ ये सन्देश दे सके कि *झंडा ऊंचा रहे हमारा* *विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।* #बात