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सोच चार दीवारों में कैद हो गई जिंदगी इज्ज़त के चक

सोच

चार दीवारों में कैद हो गई
जिंदगी
इज्ज़त के चक्कर में
बड़े थे घमंड थे हमे
ऊंचे खानदान के लोग हैं
किस्मत में ऐसी पलटी मारी
जिसको नीचे समझते थे
हम से भी अमीर  होगा
हम तो बस चारदीवारी में कैद में रह ग‌ए
चुल्हे चौकी तक जिंदगी सिमट गई
ऊंचे खानदान इज्जतदार का वास्ता देकर चारदीवारी हो तक ही कैद रह गए







जिसको

©sapna kumari
  #poeatry month
pawankumar7165

sapna kumari

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#poeatry month #कविता

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