तेरा ख़्वाब पलकों में पुराना नहीं होता। तेरे बग़ैर मेरा मुस्कुराना नहीं होता। मिल जाती मंजूरे-नज़र मुझको जो तेरी- यूँ ज़िन्दग़ी में दर्द का आना नहीं होता। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय