ज़िन्दगी मनुष्य की खुली हुई किताब है पेज़ पेज़ पर लिखा हुआ हिसाब है कोई नहीं जानें क्या हो जाय आज है ईश्वर ने लेकिन लिखा हर ज़वाब है। # S.D. Nigam JALALPURI