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कविता तुम कैसे बन जाती हो कभी मौन,कभी वाचाल कभी सा

कविता तुम कैसे बन जाती हो
कभी मौन,कभी वाचाल
कभी सागर के लहरों सी 
शोर मचाती,चिल्लाती हो
कभी शांत नदी सी
गुमसुम हो जाती हो।

कभी अनंत आकाश में
शब्दों को ढूंढती
कभी एक शब्द से 
अनंत बन जाती हो

बन उत्तर कभी सुलझती
कभी पहेली सी उलझाती हो
नही जानते हम लिखते तुमको
या तुम समाहित  हो
हमारे भावों संग 
बिखर जाती हो
और बन कविता 
बस दिल मे छा जाती हो
 #कविता#मौन#वाचाल
#YQdidi
कविता तुम कैसे बन जाती हो
कभी मौन,कभी वाचाल
कभी सागर के लहरों सी 
शोर मचाती,चिल्लाती हो
कभी शांत नदी सी
गुमसुम हो जाती हो।

कभी अनंत आकाश में
शब्दों को ढूंढती
कभी एक शब्द से 
अनंत बन जाती हो

बन उत्तर कभी सुलझती
कभी पहेली सी उलझाती हो
नही जानते हम लिखते तुमको
या तुम समाहित  हो
हमारे भावों संग 
बिखर जाती हो
और बन कविता 
बस दिल मे छा जाती हो
 #कविता#मौन#वाचाल
#YQdidi