प्रेम बंधन ही वो अटूट बंधन लागू होकर भी लागू नहीं जाति बंधन! प्रेम की न कोई सीमा न कोई क्षेत्र कण कण में ख़ुशबू व्याप्त है सर्वत्र! प्रेम! दो दिलों का वंदन है घुला भावनाओं का चंदन है! मिटे संताप उमँगें लें हिलोरे कजरारे नैनों का प्रेम अंजन प्रेम की जितनी करूँ बड़ाई कम ही होगा महिमा मंडन! अंतरिक्ष से परे विस्तार इसका इसमें समाया समस्त भू-मंडल! प्रेम बंधन वो अटूट बंधन लागू होकर भी लागू नहीं जाति बंधन! प्रेम की न कोई सीमा न कोई क्षेत्र कण कण में ख़ुशबू व्याप्त है सर्वत्र! प्रेम! दो दिलों का वंदन है घुला भावनाओं का चंदन है!