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कुछ तक़दीर के फैसले थे,कुछ अपनों की साजिसे थी, कुछ

कुछ तक़दीर के फैसले थे,कुछ अपनों की साजिसे थी,
कुछ समय का कुशूर था,
और कुछ फरेबी मोहब्बत का दोष था,
जो हार कर थम गया था मेरा ये टूटा मन ,
खो बैठा था कहीं खुदको,
आंखों में आंशुयो को ही, 
अपना मुकद्दर समझ बैठा था "मैं"
पर 
मेरे ज़मीर को ये हारा हुआ इंसान मंजूर नहीं
इस बार जो बापिस आयेगा किरदार मेरा
उसे हारना पसंद नहीं....

©@Shivam Rawat #GoldenHour #letscomeback #stronger
कुछ तक़दीर के फैसले थे,कुछ अपनों की साजिसे थी,
कुछ समय का कुशूर था,
और कुछ फरेबी मोहब्बत का दोष था,
जो हार कर थम गया था मेरा ये टूटा मन ,
खो बैठा था कहीं खुदको,
आंखों में आंशुयो को ही, 
अपना मुकद्दर समझ बैठा था "मैं"
पर 
मेरे ज़मीर को ये हारा हुआ इंसान मंजूर नहीं
इस बार जो बापिस आयेगा किरदार मेरा
उसे हारना पसंद नहीं....

©@Shivam Rawat #GoldenHour #letscomeback #stronger