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मैं खुदको कहानियों में बुन कर क्या करूं गा हर जगह

मैं खुदको कहानियों में बुन कर क्या करूं गा
हर जगह मेरा किरदार उलझा हुआ है

मैं ख़ुद को किनारे में लाकर क्या करूं गा
मेरे पांव सा मेरा गला भी डूबा हुआ है

मैं तुम्हें किसी दिन भला क्यों मिलूगा
मेरा वक्त किसी के इंतजार में गिरवी पड़ा है 

मैं तुम्हारी दावा कैसे बनू गा
मेरा खुदका जिस्म जख्मों से भरा है

मैं तुम्हारी शिकायत तुमसे क्यों करुगा
यही तो मेरी गुनाहों की सजा है

©Saurav sayri Writingworld369 Babita Kumari Prachi Mishra Saurav life SIDDHARTH.SHENDE.sid
मैं खुदको कहानियों में बुन कर क्या करूं गा
हर जगह मेरा किरदार उलझा हुआ है

मैं ख़ुद को किनारे में लाकर क्या करूं गा
मेरे पांव सा मेरा गला भी डूबा हुआ है

मैं तुम्हें किसी दिन भला क्यों मिलूगा
मेरा वक्त किसी के इंतजार में गिरवी पड़ा है 

मैं तुम्हारी दावा कैसे बनू गा
मेरा खुदका जिस्म जख्मों से भरा है

मैं तुम्हारी शिकायत तुमसे क्यों करुगा
यही तो मेरी गुनाहों की सजा है

©Saurav sayri Writingworld369 Babita Kumari Prachi Mishra Saurav life SIDDHARTH.SHENDE.sid