प्रातः बेला ताप तर पेय चुंधियाते नयन अध्ययन चमकते विचार अंतर्गत होती शुभआरंभ कविता दिन घटे तैयारी,अय्यारी निर्भय होती समझदारी व्याकुल मन की दरबारी होती श्री चेतना कविता कुछ लोग पूछते रहते हैं.. इतना लिखती हो कुछ काम भी करती हो या नहीं 😂.. ऎसा हरगिज़ नहीं.. या तो गाने सुनती हूँ.. मेरी आवाज़ से पड़ोसी उठते होंगे.. गाती ही रहती हूँ.. काम करते समय, या कोई कविता सज़ाती रहती हूँ मन में.. बस फ़ुरसत मिलते ही लिख देती हूँ.. रसोई के बर्तनॊ में, बाज़ार में, श्रंगार में, और प्यार में.. बस कविता सज़ी रहती है मन में.. 😄 #yqbaba #yqdidi #yqpoemwriting #yqhindi #yqkavitahindi