दर भी हमनें बनाया और दरबार भी हमीं नें पर आज ना कोई मंदिर मजीद खुला हैं ना गुरुद्वारे और चर्च.... सब के दरवाज़े बंद हैं बंदे! आज हम आपत्ति में किसी भी धर्म स्थान पे ना माथा टेक सकतें हैं ना अपनी परेशानी बता सकतें हैं....बस हम खुद को जिंदा रखनें की कोशिशें करे! ना तो कोई धर्मं रोक सका अबतक virus की महामारी को ना अपना विज्ञान आगें का पता लगा पाया.... बस हम देखतें जांय इंसान को इंसान समझकर! समझें ना हम अगर कुदरत का करिश्मा तो युंही खेल खेल में मिट जायेंगें वजूद.... चलो बंद करे भगवान का बटवारा आपस की जाति-पांति भुलाकर! जब बनाने वाले ने आंखों से न दिखने वालीं चीजें सबको एक समान दि.... तो क्यूँ ना हम भी सब एक बनकर फिरसे नयी शुरुआत करें! मेरे गुरु सरश्रीजी कहते हैं अगर विश्व शांति के लिए सब लोग एक साथ प्रार्थना करे तो.... विश्व की हर आपत्ति टल सकती है! Happy thoughts🙏 Shantisagar.... #विश्वशांती....